विचारशक्ति हरीओमसिंह प्रा०वि०-पेरई (प्र०अ०)

🌹कविता नं-28🌹
🐒देख के बन्दर की करतूत🐒
देख के बन्दर की करतूत।
बच्चे शोर मचाते जोर।
शोर देख बन्दर घबड़ाया।
कूद लगाया जोरम जोर।

देख उछलते बन्दर को।
बच्चे पीटे ताली जोर।
बन्दर देख रहा था गुमसुम।
दिल में घबड़ाया था जोर।

लम्बी देख बन्दर की पूँछ।
बच्चे खूब चिल्लाये जोर।
कैसी है ये अद्भुत रचना।
जुड़ी हुयी है पीठ से जोर।

देख के बच्चों की करतूत।
मन ही मन मुस्काया बन्दर।
ऐसा उसको लगता जैसा।
बच्चे मुझसे करते प्यार।

तभी ऐक बच्चे को देखा।
हाँथ लिये वह लाल चुकन्दर।
क्षपट पड़ा वह उसके ऊपर।
खानें को वह लाल चुकन्दर ।
रचना
हरीओमसिंह (प्र०अ०)
प्रा०वि०-पेरई, नेवादा-कौशाम्बी
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📝विचारशक्ति हरीओमसिंह प्रा०वि०-पेरई (प्र०अ०)
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